ना समझ हूँ ना सहज हूँ कुछ बात क्षितिज तक दिख जाती है ना समझ हूँ ना सहज हूँ कुछ बात क्षितिज तक दिख जाती है
साथ चाहिए पर.. कदम दो कदम का नहीं. साथ चाहिए पर.. कदम दो कदम का नहीं.
घर में घर में
मध्यांतर में मध्यांतर में
शीशे में शीशे में
क्या रिश्ता उससे मेरा है क्यूँ याद आती हर पल उसकी थम जाता दिल मेरा हैहर बातों में याद उसकी सुख दुःख ... क्या रिश्ता उससे मेरा है क्यूँ याद आती हर पल उसकी थम जाता दिल मेरा हैहर बातों मे...